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मैं तो धुर टांडे तै आया परी / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मैं तो धुर टांडे तै आया परी
तेरी सुण के धमक बाजे की
थोड़ा सा नीर पिला दे परी
मैं तो प्यासा मरूं सूं नीर का
तैं तो कोन्या नीर का प्यासा जले
तैं तो भूखा फिरै सै बीर का
मेरी मूट्ठी मंह की गूट्ठी परी
गूट्ठी मैं सबज नगीना
मैं तो पाणी रे पीके जांगा नार
चाहे हो जाओ एक महीना