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मैं न सुख से मर सकूँगा / हरिवंशराय बच्चन

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मैं न सुख से मर सकूँगा!

चाहता जो काम करना,
दूर है मुझसे सँवरना,
टूटते दम से विफल आहें महज मैं भर सकूँगा!
मैं न सुख से मर सकूँगा!

गलतियाँ-अपराध, माना,
भूल जाएगा जमाना,
किंतु अपने आपको कैसे क्षमा मैं कर सकूँगा!
मैं न सुख से मर सकूँगा!

कुछ नहीं पल्ले पड़ा तो,
थी तसल्ली मैं लड़ा तो,
मौत यह आकर कहेगी अब नहीं मैं लड़ सकूँगा!
मैं न सुख से मर सकूँगा!