भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं नदी होती / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
नदी
जब भी तुम्हें देखती हूँ
तो सोचती हूँ
मैं भी क्यों नहीं हुई नदी
बहती रहती मैं
घाट-घाटों से होकर
कहीं जाल बिछाकर
मछुवारे फाँसते मछली
कहीं किनारे पर
तैरते नंग-धड़ंग बच्चे
और युवक
और कहीं
मुक्ति की आकांक्षा में
नहाते होते सैकड़ों नर-नारियाँ
आचमन करते मेरे जल से
मगर मैं बहती ही रहती
नदी
मैं तुम्हारी तरह नदी माता होती।