मैं नहीं बोलूँगा / चेन्जेराई होव / राजेश चन्द्र
वे कहते हैं कि मुँह गुफ़ाएँ हैं
जिनमें छिपा दिए जाने चाहिए दूषित शब्द ।
वे कहते हैं कि मेरे शब्द फटे-पुराने चिथड़े हैं,
इसलिए उन्होंने पुलिस भेजी
मेरे शब्दों की हत्या करने के लिए ।
आज अभी से
मैं नहीं बोलूँगा
नहीं बोलूँगा मैं
जब मैं देखता हूँ चीज़ों को
तो दर्द होता है मेरी आँखों में ।
जब मैं सुनता हूँ कड़वे शब्द
मैं नहीं बोलूँगा
नहीं बोलूँगा मैं
जब राष्ट्रपति के अभिभाषण से बहता है ख़ून
उन सड़कों पर
जिन पर चलता हूँ मैं ।
जब औरतें विलाप करती हैं ख़ून देखकर —
उनके अपने बच्चों का ख़ून,
मैं नहीं बोलूँगा ।
मन्त्री के बोल घोषित करते हैं एक चुसनी को बेघर
मन्त्री के बोल घोषित करते हैं एक रबड़ को मृत
शासक के बोल अपाहिज बनाते हैं गणतन्त्र को
पुलिस वाले की हथकड़ी को
तलब लगती है जेल की ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र