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मैं निर्धन-कंगाल बिन्ना, तू मतन्या गैल्या चाल बिन्ना / ललित कुमार

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मैं निर्धन-कंगाल बिन्ना, तू मतन्या गैल्या चाल बिन्ना,
सै टोटे मै बुरा हाल बिन्ना, मेरा लकडहारा सै नाम || टेक ||

निर्धन गेल्या लेके फेरे, कती भाग फुट्गे तेरे,
डेरे होगे बियाबान मै, क्यूँ ना आती इब ध्यान मै,
मै करूँ गुजारा टूटी छान म्य, मेरै धोरै ना एक दाम ||

एकली बण मै डरया करैगी, तूं शीश लाकडी धरया करैगी,
भरया करैगी नैना नीर, कोए बंधावै ना तेरी धीर,
दुःख पाज्या यो तेरा शरीर, ना ओड़ै महला आले आराम ||

भाग मनुष का पड़कै सोज्या, होंणी बीज बिघ्न का बोज्या,
होज्या जिन्दगी भर का रोंणा, पड़ज्या आंसू तै मुंह धोणा,
मनै दोनु बख्ता बोझा ढोणा, योहे सै मेरा काम ||

आदमदेह मै हो पार उतरणा, टोटे मै हो पल-पल मरणा,
शरणा ले बिन्ना ईश्वर का, के फायदा हो हिणे वर का,
छंद नया ललित गुर्जर का, बुवाणी सै गाम ||