मैं बैठता और दृष्टि डालता हूँ / वाल्ट ह्विटमैन / दिनेश्वर प्रसाद
मैं बैठता और विश्व के सभी दुःखों और समस्त दमन
और कलंक पर दृष्टि डालता हूँ,
स्वयं अपने से खिन्न, अपने किए के पश्चाताप से भरे
युवाओं की एकान्त गुप्त हिलाने वाली सिसकियाँ मैं सुनता हूँ,
मैं अपनी सन्तानों के दुर्व्यवहार से पीड़ित जीवनक्षीण,
मरणोन्मुख, उपेक्षित, दुर्बल, हताश माँ को देखता हूँ,
मैं अपने पति के दुर्व्यवहार से पीड़ित पत्नी को देखता हूँ,
मैं युवतियों के धोखेबाज, बहकाने वाले को देखता हूँ,
मैं ईर्ष्या की चुभनों और छिपा दिए जाने के प्रयत्न में
प्रतिदान-रहित प्रेम पर ध्यान देता हूँ,
मैं पृथ्वी पर ये दृश्य देखता हूँ,
मैं युद्ध के परिणाम, महामारी, क्रूरता को ध्यान से देखता हूँ,
मैं बलिदानियों और बन्दियों को ध्यान से देखता हूँ,
मैं समुद्र में अचानक आ पड़ी भुखमरी को देखता हूँ,
मैं नाविकों को इसके लिए चिट डालते देखता हूँ कि
दूसरों की जीवन-रक्षा के लिए उनमें से किनका वध किया जाएगा,
मैं अहँकारी व्यक्तियों द्वारा श्रमिकों, निर्धनों और अश्वेतों और
ऐसे लोगों पर तिरस्कार और अपमान ढाहते देखता हूँ
इन सब पर अन्तहीन नीचता और यंत्रणा पर मैं बैठे-बैठे दृष्टि डालता हूँ,
देखता हूँ, सुनता हूँ और मौन रह जाता हूँ ।
1860
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : दिनेश्वर प्रसाद
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Walt Whitman
I SIT AND LOOK OUT
I SIT and look out upon all the sorrows of the world, and upon all
oppression and shame,
I hear secret convulsive sobs from young men at anguish with
themselves, remorseful after deeds done,
I see in low life the mother misused by her children, dying,
neglected, gaunt, desperate,
I see the wife misused by her husband, I see the treacherous
seducer of young women,
I mark the ranklings of jealousy and unrequited love attempted to
be hid, I see these sights on the earth,
I see the workings of battle, pestilence, tyranny, I see martyrs and
prisoners,
I observe a famine at sea, I observe the sailors casting lots who
shall be kill'd to preserve the lives of the rest,
1860