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मैं ही तुम्हें छोड़ देता हूँ / असंगघोष
Kavita Kosh से
मैं ही तुम्हें छोड़ देता हूँ!
तुम्हें!
अपनी ऊँची
पहचान प्यरी है
उसे छोड़
तुम सुधरोगे
नहीं
तुम्हें सुधारना भी
कौन चाहता है
साँप के बच्चे को
दूध पिलाने से
कहीं उसका जहर कम होता है
यह तुम ही कहा करते थे ना
हाँ मेरा जहर
बढ़ता ही जा रहा है
इससे पहले
कि मैं तुम्हें काट खाऊँ
और
तुम्हें पीने
पानी भी ना मिले
मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ
आज
तुम्हारे लिए बेहतर है यही
भाग जाओ