भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैंने चुना प्रेम / प्रतिभा कटियार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मालूम था
क्या होती है प्रतीक्षा,
कैसा होता है
दुःख अवसाद, अँधेरा,

किस कदर
मूक कर जाता है
किसी उम्मीद का टूटना,

फिर भी
मैंने चुना प्रेम !