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मैंने तुझे माँगा तुझे पाया है / साहिर लुधियानवी

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मैंने तुझे माँगा तुझे पाया है
तूने मुझे माँगा मुझे पाया है
आगे हमें जो भी मिले या ना मिले गिला नहीं

छाँव घनी ही नहीं धूप कड़ी भी होती है राहों में
ग़म हो कि ख़ुशियाँ हों हमको सभी लेना है बाँहों में
यों दुखी हो के जीने वाले क्या ये तुझे पता नहीं
मैने तुझे माँगा ...

ज़िद है तुम्हें तो लो लब पे न शिकवा कभी भी लाएँगे
हँस के सहेंगे जो दर्द या ग़म ये जहाँ से पाएँगे
तुझको जो बुरा लगे ऐसा भी किया नहीं
मैने तुझे माँगा ...