भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैंने देखे हैं पागल / तादेयुश रोज़ेविच / असद ज़ैदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने देखे हैं पागल
जो समुद्र की सतह पर चले
अन्त तक विश्वास की डोर थामे हुए
और डूब गए

वे अब तक झकझोरते हैं
मेरी डगमग करती नाव को
 
क्रूरता से जीवित रहते हुए
मैं उन अकड़ चुके हाथों को
परे धकेलता हूँ

मैं उन्हें परे धकेलता हूँ साल दर साल

अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी