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मैंने प्यार बाँटा / अंजना वर्मा

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मेरे पास प्यार था
जो मैंने बाँटा
फूलों और तितलियों को
जमीन, आसमान और बादलों को
हवा और चिड़ियों को
पहाड़ों, नदियों और झरनों को
एक-एक दूब
और एक-एक ओस-बूँद को
धूप-किरणों और पत्तियों को
दूब पर रेंगते घोंघे और भृंग को
कुत्तों, बकरियों और हिरनों को
गाय, भैंसों और घोड़ों को
उदास चेहरोंं और बच्चों को
और भी न जाने किस-किस को
सबको बाँटते-बाँटते भी
खत्म नहीं हुआ है प्यार
अब तक ज्यों-का-त्यों है
ताज्जुब है
अब तक, जबकि
दिन चल दिया है सोने