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मैत्री / अज्ञेय
Kavita Kosh से
मैं ने तब पूछा था :
और रसों में, क्या,
मैत्री-भाव का भी कोई रस है?
और आज तुम ने कहा :
कितना उदास है
यह बरसों बाद मिलना!
प्यार तो हमारा ज्यों का त्यों है,
पर क्या इस नये दर्द का भी कोई नाम है?
ग्वालियर, 16 अगस्त, 1968