भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोटी भूल सिकारो / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आखै भारत में है सगळा
पैंसठ कोड़ निवासी,
भाग आठवों आबादी रो
राजस्थानी वासी,

अतै बडै जनमळ री मायड़
भासा राजस्थानी,
नहीं मानता इण नै दी आ
लोकतंत्र री हाणी,

लाखां में ही गिणती, बां री
भासा नै जद मानी,
म्हां स्यूं कांई बैर, करी थे
इंयां किंयां मनमानी ?

भासा कोनी रमत जकी नै
चावै जिंयां भुजाणी,
आ आतमा रो धरम, देह नै
जिंयां बायरो पाणी,

सुणो बगत रो हेलो मिनखां
मोटी भूल सिकारो,
फेर आठवीं सूची में थे
सावळ करो सुधारो !