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मोड़ के आगे मोड़ बहुत / प्रदीप कान्त
Kavita Kosh से
मोड़ के आगे मोड़ बहुत
रही उम्र भर दौड़ बहुत
द्वापर में तो कान्हा ही थे
इस युग में रणछोड़ बहुत
नियम एक ही लिखा गया
हुऐ प्रकाशित तोड़ बहुत
किसिम किसिम की मुखमुद्राएँ
धनी हए हँसोड़ बहुत
अन्तिम सहमति कुर्सी पर
रहा सफल गठजोड़ बहुत