भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मोर सपना के गाँव / शकुंतला तरार
Kavita Kosh से
हाना-हाना मा डोले मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव
झुनुक झेंगुरा हर गावे फुदुक टेटका मगन
आनी-बानी के फूल इहाँ हरियर उपवन
बाना-बाना मा बोले मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव
धरे नांगर तुतारी धनहा बीजहा माटी
धरती दाई के दुलरवा के भुईयाँ थाती
गाना-गाना मा झूमे मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव
ऐंठी,चूरी, महावर छिंटही लुगरा पहिरे
तीजा-पोरा मा ठमके बेनी फुंदरा झुमरे
रीति-रीति मा गावे मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव
चंदा सुरूज चमके कोयली कुहुक गावे
भाखा- बोली मया के इहाँ मंदरस घोरे
ताना-बाना मा झूले मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव