भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मोरा रे अँगनमा चानन केरि गछिया / विद्यापति
Kavita Kosh से
मोरा रे अँगनमा चानन केरि गछिया, ताहि चढ़ि कुररए काग रे।
सोने चोंच बांधि देव तोहि बायस, जओं पिया आओत आज रे।
गावह सखि सब झूमर लोरी, मयन अराधए जाउं रे।
चओ दिसि चम्पा मओली फूलली, चान इजोरिया राति रे।
कइसे कए हमे मदन अराधव, होइति बड़ि रति साति रे।