भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मोर्चा / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
मोर्चा
छोटा हो
या
बड़ा
जूझना पड़ता है
कभी थम कर
कभी बढ़ कर
हार हो
या
जीत
जिन्दगी की नियति है युद्ध
इस युद्ध में
हर कोई होता है अकेला