उन सीढियों पर जो हमारे फाटक को आती हैं
बिहारी पकौड़ीवाला अक्सर एक अनाम औरत
को चूमता दिखाई देता है
अजीब बात। मेरे माता पिता बुझा देते हैं बैठक की रोशनी
जब भी ऐसा होता है। कारों की रोशनी में उभर आते हैं वे -
एक अटूट गुप्त छाया
सीढियां और भी क्रियाएँ आमंत्रित करती हैं
यहीं का बाशिंदा फ़कीर कभी कभी लेट जाता है वहाँ,
खाई जैसे रंग लिये, और राहगीर संतरे के पेड़ों
को देखने के लिये ऊपर चढ़ आते हैं
लेकिन यह बात दूसरी है। अपनी पकौड़ियों की गंध लिये
मृदुभाषी पकौड़ीवाला और, उसके आधे घंटे -
अदम्य उन्माद का द्वीप, किसी और की सीढियों पर
जबकि उसके चारों ओर रोजः वही अडियल मुफ्तखोर,
जांघो में लातें, गालियों के परिचित शब्द
एक अपरिचित भाषा में
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : तेजी ग्रोवर