भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मौत के बीमा / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

समय के तकाजा हे,
केकरे हाथ में सिंघा नै
सबके हाथ में तुतही बाजा हे
के हे हियां जंगी,
सब खेल रहल हे
कुरसी के नौटंकी
ई तबाही,
सबके बना देतो राह के राही
राहो में काँटा गड़ जैतो
हो जैतो घाव
ई घाव तनी चोखैतो
जब अैतो चुनाव
फेर तो खंघरतो
अउ खंघरतो?
तब कभी नै भरतो
न काम देतो इनजेकसन
न काम देतो इनजेकसन
न काम देतो एनीमा
डाक्टर ले लेलको हे
तोहर मौत के बीमा