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म्हूं चावूं / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
जद बिरखा आवै
तद म्हूं चावूं
कै बैंवतै पाणी में
कागद री
नाव बणा’र चलाऊं
टाबरां नै
इस्कूल जांवता देख’र
म्हूं चावूं
कै मगरां माथै
बस्तौ लटकाय’र
उछळती-कूदती
बांरै साथै इस्कूल जाऊं
गळी रै टाबरां नै
लुकमीचणी खेलतां देख’र
म्हूं चावूं
कै म्हूं ई कठैई लुक ज्याऊं
म्हूं चावूं
अर
भगवान स्यूं करूं पराथनां
कै अेकर-अेकर
फेरूं टाबर बण ज्याऊं।