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यक्षप्रश्न / प्रदीप जिलवाने
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कितने घर जले
कितनी बस्तियाँ उजड़ी
कितनी बहा लहू
लेकर तुम्हारा नाम।
सच कहो
बन भी गया मंदिर तुम्हारा
क्या उसमें तुम रह पाओगे राम ?
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