भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यद्यपि तूने किये अनेकों / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
(राग अहीर भैरव-ताल धमार)
यद्यपि तूने किये अनेकों पातक घोर, दुष्ट-आचार।
है यदि तू पातकी जगत का सर्वश्रेष्ठ नेता-सरदार॥
नरक-जन्तु नक्रदि भयानक फल भुगतानेको तैयार।
तो भी ज्ञान-तरणि चढ़ तू तर जायेगा भव-पारावार॥