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यह आकार है -3 / मंगेश नारायणराव काले
Kavita Kosh से
एक गाँव
अगर दूसरे गाँव के आकार को निभा दे
तो बचता ही कहाँ है गाँव आख़िर?
यानी दो गाँव हो सकते हैं एक ही नाम के
या हो सकते हैं हू-ब-हू एक-दूसरे के जैसे
दोनों की परछाईं भी हो सकती है एक सी
फिर भी होता ही है अलग कुछ न कुछ दोनों गँवों में
यानी इस गाँव का जामा
उस गाँव को नहीं पहनाया जा सकता
मूल मराठी से अनुवाद : सरबजीत गर्चा