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यह मैं / राजुला शाह
Kavita Kosh से
किसकी खोज
जो मिलता नहीं
कौन है जो
दिखता नहीं
कैसी आशा
कि घेरे बार-बार
ऐसी
निराशा
क्यों ये बेचैनी
कि है किस चैन की तलाश ?
कहाँ वह प्रकाश
जिसका अभाव
यह अँधेरा
किससे करो शिकवा जब
नहीं कोई दूसरा
सिवा इकलौते
इस मैं के
.....और
यह मैं कौन ?
यात्रा
बोझिल
निंदियाती बस में
दीखा
उसे
अपना घर।
पास बैठी स्त्री
की उनींदी आँख
में
पलक झपकता
प्यार
और एक
नन्हीं आँख
में तिरती आती
नींद !