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या भले हैं / बलबीर सिंह 'रंग'
Kavita Kosh से
या भले हैं,
आपको आपत्ति क्या है?
दिल जले हैं,
मनचले हैं,
आपको आपत्ति क्या है?
सार्वभौम तटस्थ चिंतन,
भावपूर्ण विचार मंथन;
ये हमारे सिलसिले हैं,
आपको आपत्ति क्या है?
हम बुरे हैं...
तुम गुलाबी गंध को,
गरिमा लिए जन्मे विजन में;
हम अभी तक अधखिले हैं,
आपको आपत्ति क्या है?
हम बुरे हैं...
मौन के निस्तब्ध-खण्डहर,
की अँधेरी यामिनी में;
दीप क्यों स्वर के जले हैं,
आपको आपत्ति क्या है?
हम बुरे हैं...