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यातना-1 / लाल्टू
Kavita Kosh से
लिखूँ तो क्या लिखूँ।
लंबे समय से सब कुछ ही गोलमाल लगता रहा है।
जो ठीक लगता है, वह ठीक है क्या?
जो गलत वह गलत?
शायद ऐसे ही समय में
ईश्वर जन्म लेता है।