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यातना - 1 / संगीता गुप्ता

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उसे देखने के लिए
बस आंख
सुनने के लिए
बस कान
छूने के लिए
बस उंगलियां
महसूसने के लिए
बस मन
बनी वह

मगर
इतना कुछ
कब कोई
सहेज पाता है