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याद आना याद आया / सरोज कुमार
Kavita Kosh से
फिर तुम्हारी याद आई
और पहले का तुम्हारा
याद आना
याद आया!
खिड़कियों से, गंध
बह आना अलग है,
और चम्पा, खोंस
साँसों में रखा जाना अलग है!
फिर तुम्हारी गंध आई
और पहले का तुम्हारा
पास आना
याद आया!
अब नहीं वह बात
सब कुछ यथावत-सा
कि जैसे
कुछ नहीं हो!
बुझ गया मन आँख रोई
और पहले का तुम्हें
रह-रह मनाना
याद आया!