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याद तुम्हारी / कविता कानन / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
याद तुम्हारी
बसी हुई
अंतस्तल में
सदा कचोटती
दिखाती रहती
नेत्रों के सम्मुख
अतीत की झलकियाँ
साकार हो जाते
बीते हुए
सारे पल छिन ।
करूँ फ़रियाद
आती रहे
अनवरत
तुम्हारी याद
देते रहे
जीवन सम्बल
मधुभीने
गुजरे पल ।