भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
याद बनकर दरमियानी रह गयी / पूजा श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
याद बनकर दरमियानी रह गयी
आख़िरी ये ही निशानी रह गयी
फिक्रे पीरीं से उलझने में बशर
जीने से अहले जवानी रह गयी
जश्ने आजादी में डूबे इस कदर
कैद से चिड़िया उड़ानी रह गयी
बंद संदूकों से देखो पूछकर
क्या कोई चिट्ठी पुरानी रह गयी
दुनियादारी तय हुई लगभग मगर
बात इक दिल की बतानी रह गयी
बेटियाँ मुफ़लिस ने तन भर ढांक दीं
क्या पता क्या सावधानी रह गयी