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याद रखना / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु

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भेड़ियों के बीच में
घर है तुम्हारा,
याद रखना ।
यहाँ पर मझधार हैं
साथी -सहारा
याद रखना ।
बाँटने आता न कोई
प्यार की पाती यहाँ,
बाँटने आते सभी हैं
दु:ख भरी थाती यहाँ ।
नाम रिश्तों का रटें
लेकर दुधारा
याद रखना ।
मुस्कान को सह लें भला
कब, किसे मंज़ूर है?
आँसुओं को कौन पोंछे ?
लोग बेहद क्रूर हैं ।
बन गए सम्बन्ध अब
टूटा किनारा
याद रखना ।
तुम बढ़ोगे स्वर्ग अपना
ढूँढ़ लोगे एक दिन,
तुम झुकोगे नरक अपना
खुद रचोगे एक दिन ।
इस जनम को सजा लो
न मिले दुबारा
याद रखना ।
फूल -कलियों से तुम्हारा
महकता आज आँचल,
उमड़ी है उर-गोमुख से
सुधा की धार निर्मल ।
चुनौती हर मोड़ पर
सिन्धु-जल खारा
याद रखना ।
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