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यादें बनैली / अनिता मंडा
Kavita Kosh से
1.
यादें बनैली
आँसुओं की सहेली
रही पहेली
2.
स्मृति-पखेरू
चुग चैन के दाने
छिपे सयाने।
3.
यादों के घर
चलती आवाजाही
जीवनभर।
4.
बाट जोहती
आषाढ़ बादलों की
क्षीण सी नदी
5
छोटी सी बूँदें
नभ को रँग देती
सात रंगों में।
6
धुले जो दुःख
हो गई सतरंगी
नभ की काया
7
कहानियाँ हैं
चुप्पियों के भीतर
पुकार भी लो
8
होंठों को छुएँ
मुस्कान की लहरें
जादू रचाएँ।
9
ओस के मोती
माला की सी लड़ियाँ
पहनें वृक्ष।
10
वसंत खोले
कलियों की मुट्ठियाँ
महक फैले।
11
लहरें ओढ़ें
जगमग ओढ़नी
रात चाँदनी।
12
सुप्त झील में
बह रहे बादल
स्वप्न में तुम।
13
कूकी कोयल
हवा में घुली मिश्री
पी गए वृक्ष।
14
रीतती गई
ख़ुशियों की गुल्लक
खाली है मन।
15
सूरज-फल
क्षितिज-शाख पर
साँझ-सवेरे।