युद्ध / दिनकर कुमार
तर्कों के बिना ही
हो सकता है आक्रमण
युद्ध की आचार संहिता
पढ़ने के बावजूद
निहत्थे योद्धा की
हो सकती है हत्या
अदृश्य युद्ध में स्पष्ट नहीं होता
दोनों पक्षों का चेहरा
सिर्फ धुएँ से ही
आग की ख़बर मिल जाती है
गिद्ध
मृतकों की सूचना दे देते हैं
अनाथ बच्चों के हृदय में
युद्ध समा जाता है
हृदय को पत्थर बनने में
अधिक समय नहीं लगता
असमय ही विधवा बनने वाली
स्त्रियों के चेहरे पर
राष्ट्रीय अलँकरण के बदले में
मुस्कान नहीं लौटाई जा सकती
गर्भ में पल रहा शिशु भी
अदृश्य युद्ध का एक
पक्ष होता है
युद्ध राशन कार्ड से लेकर
रोज़गार केन्द्र-मतदाता सूची
खैराती अस्पताल-राहत शिविर तक
हर जगह हर रोज़मर्रा की ज़रूरत की
चीज़ों में घुला-मिला रहता है
युद्ध का स्वाद
समुद्र के पानी की तरह
खारा होता है