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युद्ध में हूँ / देवेश पथ सारिया
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जीवट की यह बेला है
हर योद्धा युद्ध में अकेला है
सुदूर कहीं, गिरी-कंदराओं में
दिव्यदीप की खोज में हूँ
खिंची धनुष की प्रत्यंचा पर
नये नुकीले तीर में हूँ
पूर्वजों से चली आई
धारदार शमशीर में हूँ
तुम गा रही हो विरह के गीत
युद्ध और विरह के असमंजस से जूझता
विरह में भस्मीभूत मैं युद्ध में हूँ