भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यूँ को राज रखो देवता / गढ़वाली
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
यूँ को राज रखो देवता,
माथा भाग दे देवता!
यूँ का बेटा-बेटी रखो देवता,
यूँ का कुल की जोत जगौ देवता।
यूँ का खाना जश दे,
माथा भाग दे देवता!
यूँ की डाँडो काँठ्यों<ref>चोटी</ref> मा,
फूँलीं रौ फ्योंली<ref>एक फूल</ref> डंड्यौली
यूँ कि साग सवाड़ी,
रौन रोज कलबली<ref>एक फूल</ref>।
धरती माता सोनो बरखाओ,
नाजा<ref>अनाज</ref> का कौठारा<ref>कोठार</ref> दे,
धन का भंडारा दे।
शब्दार्थ
<references/>