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ये अमर टापू ग / पीसी लाल यादव
Kavita Kosh से
ये अमर टापू ग, ये अमर टापू ग
भुईया म सरग हे, अमर टापू ग।
सत के मारग हे, अमर टापू ग॥
सतनाम के झर-झर बोहावत हवै नंदिया
जीवन घट म भर ले तैं सत के पनिया।
सत के जपन कर ले ग, जिनगी धन कर ले ग
भुईंया म सरग हे, अमर टापू ग।
सत के संदेसा देवत, उज्जर जैत खाम हे,
अंतस में बसा ले संगी, सुघ्घर सतनाम हे।
सत धारन आवय ग, दुख हारन हावय ग
भुईंया म सरग हे, अमर टापू ग।
अमरौतिन-महंगू के, सतधारी मोरे ललना,
झूलना झूलत हे मोरे, सत के सुघ्घर पलना।
सत हे जिनगी के सार, दिया के उजियार।
भुईंया म सरग हे, अमर टापू ग।