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ये ईश्वर का वरदान / बाबा बैद्यनाथ झा

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अन्य भाँति भी यद्यपि मिलते,
हमें कई अवदान।
मानव योनि मिली है तो ये,
ईश्वर का वरदान॥

जन्म अनेक लिए जब प्राणी,
दुख का करते भोग।
इतर योनियाँ कहलाती हैं,
कष्ट प्रदायक रोग।
खाना सोना प्रजनन करना,
बस इतने हैं काम।
नारकीय जीवन जीने पर,
रोते आठों याम॥

कठिन तपस्या देख कदाचित्,
द्रवित हुए भगवान।
मानव योनि मिली है तो ये,
ईश्वर का वरदान॥

भारत जैसा देश मिले जब,
वह होता सौभाग्य।
चाहें तो पुरुषार्थ मिलेगा,
या पा लें वैराग्य।
धर्म सनातन में पलकर वे,
प्रभु के बनते भक्त।
बन निमित्त संसार भोगकर,
रहे नहीं आसक्त॥

इष्टदेव के श्री चरणों में,
लग जाता है ध्यान।
मानव योनि मिली है तो ये,
ईश्वर का वरदान॥

भोजन वस्त्र मकान सहित जब,
शिक्षा भी हो प्राप्त।
सत्कर्मो में लगे रहें बस,
हो कर्तव्य समाप्त।
कर्मभूमि में कर्मों से ही,
बनता है प्रारब्ध।
सदुपयोग के लिए हमें यह,
नर तन है उपलब्ध॥

लाभ उठा लो इस अवसर का,
रे मूरख नादान।
मानव योनि मिली है तो ये,
ईश्वर का वरदान॥