ये बात मैंने आपको इसलिए बताई / अशोक चक्रधर
कि इन कविताओं में
एन.डी.टी.वी. की डिमाण्ड पर
माल किया गया है सप्लाई।
इस सकंलन में
ऐसी बहुत सी कविताएं नहीं हैं
जो उन्होंने परदे पर दिखाईं,
लेकिन ऐसी कई हैं
जो अब तक नहीं आईं।
कुछ बढ़ाईं, कुछ काटीं,
कुछ छीली, कुछ छांटीं।
कुछ में परिहास है, कुछ में उपहास है
कुछ में शुद्ध अहसास है,
कहीं सुने-सुनाए का विकास है
कहीं प्राचीन को नया लिबास है
पर एक बात ख़ास है-
कि पचासवीं वर्षगांठ है ये आज़ादी की
इसलिए कविताओं की संख्या भी पचास है।
कितने प्यारे हैं हमारे सुधीर भाई
जिन्होंने बौड़म जी की एक-एक तस्वीर
बड़ी मौहब्बत से बनाई,
और धन्य है नरेन्द्र जी का अपनापा
कि पुस्तक को त्वरित गति से छापा
अब आपके पास है पुस्तक
पुस्तक में कविताएं,
चलें पन्ने पलटें और ग़ौर फरमाएं।
प्रतिक्रिया भी दें इनकों पढ़ने के बाद,
धन्यवाद !