भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
योगिया जुमै छै महिसौथा नगर मे / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
योगिया जुमै छै महिसौथा नगर मे
ओहि समय के वार्त्ता छियै
दादा सलहेस भागि गेलै फलका पर
मोती दुलरूआ फलका गयलै
रेखा काटि महल से गयलै
अपना हाथ से रेखा कटै छै
हाथ बात रानी के कहै छै
सुनऽ सुनऽ हे रानी, सुनिले
नहिरा के गोहनियाँ एलै
रेखा टपि बाहर नइ जीहे
हमरा वचनियाँ सतबरती ने कटिहै गै।।