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रंग-6 / जया जादवानी

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मिलती है ख़ून की एक बूंद
ख़ून की एक बूंद से
ब्रश से उसे घोलती हूँ
चुप हो तुम न जाने कब से
आह, मैं कितना बोलती हूँ।