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रंग-भेद / पद्मजा बाजपेयी
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श्वेत वर्णों का काला दिल, कर रहा है जुल्म ही जुल्म,
श्याम वर्ण वाले इंसान नहीं होते? उनमे दिल और दिमाग नहीं होते?
चमड़ी की सफेदी, महानता का प्रतीक नहीं,
रंगो का अंतर देखने वालो, सड़ी हुई वस्तु हो, जीवित इंसान नहीं।
जलवायु के इस जादू को, देखों पर भूलो मत,
कालिमा के बीच कहीं, गौर हृदय बसता है?
श्यामलता अभिशाप नहीं, पृथकता की नीति त्याग,
रंग-रूप भेद छोड़, आओ समता का पाठ पढे।