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रंग का चार बनड़ा। / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रंग का चार बनड़ा।
पिया लो म्हारा आवो वासी रंगरा
हस्ती तो लाजो कजली वनरा
घोड़ा तो लाजो खुरासान रा
गाड़ी तो लाजो मारू देस री
मेवा तो लाजो गढ़ गुजरातरा
नाड़ा तो लाजो नखल देसरा
मेंदी तो लाजो टोड़ा देसरा
सालू तो लाजो सांगानेर री
गेणा तो लाजो सोनी देसरा
बेटी तो लाजो बड़ा बापकी