भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रंगों की बौछार तो लाल गुलाल के टीके / चाँद शुक्ला हादियाबादी
Kavita Kosh से
(रंगों की बौछार / चाँद शुक्ला हादियाबादी से पुनर्निर्देशित)
रंगों की बौछार तो लाल गुलाल के टीके
बिन अपनों के लेकिन सारे रंग ही फीके
आँख का कजरा बह जाता है रोते-रोते
खाली नैनों संग करे क्या गोरी जी के
फूलों से दिल को जितने भी घाव मिले हैं
रफ़ू किया है काँटों की सुई से सी के
सब कुछ होते हुए तक़ल्लुफ़ मत करना तुम
हम तो अपने घर ही से आए हैं पी के
तेरी माँग के चाँद सितारे रहें सलामत
जलते रहें चिराग़ तुम्हारे घर में घी के