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रख राखै सो रैसी राम / मोहम्मद सद्दीक
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रब राखै सो रैसी राम
चिड़ो चिड़ी जद चूंच खोलसी
मन मांली तो कैसी राम
रब राखै सो रैसी राम।।
सूखै तरवर एक डाळ पर
सरवर सूखै सूनी पाळ पर
बिलखै बचिया ध्यान काळ पर
खैवण हारो खेसी राम।
पापी पल रै पाप कारणै
सदियां सोग मनावैली रे
जूण अकारथ जावैली ?
म्हारै गीत री गीता गूंजै
मैं केस्यूं सै सुण सी राम।।
मानव मन इतिहास परख
आ-बात हाथ स्यूं जवैली
रे चिड़ी बाज नै खावै ली
म्हारै गीत-गूंज रै साथै
मैं केस्यूं सै सुणसी राम
बाट बिसरग्यो एक बटोही
आपरै खेत री डांडी खोई
पुरसी थाळी खाग्यो कोई
मैं केस्यूं कुण सै‘सी राम।।
मन में गैरी एक ठौर पर
एक मोरियो नाचै डोर पर
आखर मन्डग्या ठौर ठौर पर
बो देसी तूूं लेसी राम।।