भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रचना कतेक टका लगतै सपना किनबाक लेल / आशीष 'अनचिन्हार'
Kavita Kosh से
रचना कतेक टका लगतै सपना किनबाक लेल
जूटल घर सरदर अँगना किनबाक लेल
हम मुक्त छी राग-विराग प्रेम-घृणासँ
रचना कतेक टका लगतै भावना किनबाक लेल
सत्त मानू हम काज करै छी लोकतंत्रक पद्धतिए
रचना कतेक टका लगतै पटना किनबाक लेल
पत्रकारिता गुलाम छैक टी.आर.पीक
रचना कतेक टका लगतै घटना किनबाक लेल