जैसे नींद
रम जाती है शरीर में
रमना है ऎसे मुझे ज़िन्दगी में
जैसे रोशनी खिड़कियों से आकर
अलग कर देती है
नींद को शरीर से
ऎसे ही अलग होना है
मुझे ज़िन्दगी से...
जैसे नींद
रम जाती है शरीर में
रमना है ऎसे मुझे ज़िन्दगी में
जैसे रोशनी खिड़कियों से आकर
अलग कर देती है
नींद को शरीर से
ऎसे ही अलग होना है
मुझे ज़िन्दगी से...