रम्मा जैबै हम्में मइयो मंदिर/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल
रम्मा जैवे हम्में मइयो मंदिर दरसरमो रे ना,
रम्मा देखी हमरा हमरा मैया होतै खुशी मनमो रे ना ।
रम्मा सुनी रे लैहीं मनोॅ के उदगरवो रे ना,
रम्मा हम्मुं रे देश भारत के छहलवो रे ना ।
रम्मा जहाँ रे बनलै जनक किसनमा रे ना,
रम्मा मारी रे देवै देशोॅ के दुशनमा रे ना ।
हाय गे दुरगा लागी रे गेलै हमरा सोनमा पर बैरी नजरियो न हो ।
हाय गे मैयो केना केॅ बतैयों हम्में आपनोॅ दरदियो न हो ।
रम्मा रोजे-रोजे बढ़ै छै बेकरियो रे ना,
रम्मा बांटै लेली लड़ै माय के करेजवो रे ना ।
रम्मा बढ़लोॅ जाय छै देशोॅ में उत्पतवो रे ना,
रम्मा कश्मीर हमरोॅ हिरदय के टुकड़बो रे ना ।
रम्मा वहूँ करै अलगै लेली झगड़वो रे ना,
रम्मा सुतल बुद्धिजिविया, निचिंतवो रे ना ।
हाय गे दुरगा सीमा पर तैयार दुश्मनें ललकारेॅ न लागलै हे ।
हाय गे मैयो सुआरथ में डुबलोॅ देशोॅ के बेटवाॅे जगावै न मइयो हे ।
रम्मा मिलिये के उतारोॅ मैया केरोॅ आरती आबेॅ रे ना,
रम्मा राजस्थानी माँटी केरोॅ दियरियो रे ना ।
रम्मा हरा-हरा पगड़ी पंजाबोॅ केरोॅ रे ना,
रम्मा धानी रे चुनर लानवै, कश्मीरोॅ केरोॅ रे ना ।
रम्मा धोती रे छजतै दक-दक बंगालोॅ केरोॅ रे ना,
हाय गे दुरगा खोजी सुन्नर चीजेॅ लानवै सब्भे प्रान्तोॅ सें न हे ।
रम्मा बैरी छाती करबै गोली के बरसतवो रे ना,
रम्मा सुमरी रे लेवै काली कलकत्ता वाली रे ना ।
रम्मा पावन धरती रवि, सुभाष, खुदी बोसवो रे ना,
रम्मा सुमरै रे छियै नानक, भगत सिंह, गोविन्दो आबेॅ रे ना ।
रम्मा असफाकउल्ला, पीर हमीद के ई देशवो रे ना,
रम्मा सब्भैं रे लड़ी लेलकै आजादियो रे ना ।
हाय गे दुरगा कतनां रे दुखें मिललै आजादी न हमरा हे,
हाय गे मैयो तहियो न ऐकरोॅ कीमत बूझै देशोॅ के रे लोग न हे ।
रम्मा भाषा रे सुमरौं हिन्दी, उर्दू, संस्कृत आबेॅ रे ना,
रम्मा तमिल, तेलगू, मुलयालम, कन्नड़ आबेॅ रे ना ।
रम्मा सुमरैं रे बंगला, गुजराती, पंजाबी आबेॅ रे ना,
रम्मा मराठा, उड़िया, कश्मीरी, अंगिका आबेॅ रे ना ।
रम्मा असमी, संथाली, मगही आरो भोजपुरी रे ना,
रम्मा विविध भाषा-भाषी के ई देशवो रे ना ।
हाय गे मैयो भारती स्भ्भे रे भाषा गूंथी मलवो तोरा चढ़ैवै न करवै हे,
हाय गे मैयो रहवै न करवौ सभ्भे मिली तोरा नगीचेॅ न हे ।
रम्मा देवो रे सुमरौं राम, कृष्ण, जीसस आवेॅ रे ना,
रम्मा गुरु नानक, बुद्ध, वासू, अल्ला मियाँ आवेॅ रे ना ।
रम्मा सिद्धो-कानू, विरसा मुंडा, बीसूरौत आवेॅ रे ना ।
रम्मा ग्रंथेॅ रे सुमरैं गीता, वेद, कुरान आबेॅ रे ना ।
रम्मा ग्रंथ साहिब, रामायाण, वाइविलाॅे आबे रे ना,
रम्मा सब्भे में लिखलोॅ एक्के देवोॅ के कहानियो रे ना ।
हाय गे दुरगा सब्भे मिली उतारवै भारत माता मंदिर आरतियो आबेॅ हे,
हाय गे मैयो भारती, तोरा रे मुरती हीरा, मोती जड़वै न करवै हे ।
आरो पढ़वे न करवै एकता केरोॅ पठवोॅ न गे मैयो ।