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रसे-रसे / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
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रसे-रसे
उगैत अछि सुरुज
पसरैत अछि किरिन
घरतीक त्वचाकें स्पर्श करैत।
रसे-रसे
अलसायल चिड़ै
पाँखि खुजबैत
भोजनक टोहमे
भरैत अछि उड़ान।
रसे-रसे
जगैत अछि महीसबार
महीसक देह सहलाबैत
नादी दिस
बढ़बैत अछि डेग।
रसे-रसे
आँखि फोलैत अछि मछबार
कान्ह पर जाल धरैत
नदी दिस
बढ़बैत अछि डेग।
रसे-रसे
नशेरीक टुटैत छैक निन्न
टुटैत छैक देह
रतुका किरदानी पर पछताइत
पत्नीकें हाक दैत अछि।