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रहती है एक औरत / नरेन्द्र जैन

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मेरे घर के सामने
रहती है एक औरत
जो शाम को सँजा कहती है
और
नवम्बर को कार्तिक
मुझे बहुत अच्छा लगता है ।

जो सँजा होते ही
दिया जलाती है और
पड़ोस के कुत्ते के लिए
(जिसे वह मोती कहती है)
रोज़ एक रोटी बनाती है
मुझे
बहुत अच्छा लगता है ।

जो
हफ़्ते में एक दिन
गेरू और खड़िया से
आँगन और दीवार के हाशिये को
रँगती है
और सुबह-शाम
गमले में लगे पेड़ को पानी देती है
मुझे
बहुत अच्छा लगता है ।

मेरे घर के सामने
रहती है
एक औरत ।