भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राकेट / श्यामसिंह 'शशि'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने अपना नोट बचाया,
नन्हा राकेट एक बनाया।
घर-घर घर-घर उड़ा दिया जब,
दुश्मन को थरथरा दिया तब।